हरियाणा के प्राचीन नगर - कुरूक्षेत्र

भारतीय विचाराधारा की जन्म-स्थली कुरूक्षेत्र आर्य संस्कृति का एक सबसे प्रसिद्व केन्द्र है। विश्वास किया जाता है कि हिन्दू समाज और धर्म ने एक निश्चित रूपरेखा यहाँ पर धारण की। पवित्र सरस्वती नदी इस क्षेत्र में बहती थी। इसी नदी के तट पर महर्षि वेदव्यास ने अमर काव्य "महाभारत" की रचना की थी। वेदों, उपनिषदों और पुराणों का प्रादुर्भाव यहीं हुआ। यही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता को प्रेरणादायक संदेश दिया। यही कारण है कि उसे भारत के प्रमुख तीर्थ स्थानों में माना जाता है।

कुरूक्षेत्र दिल्ली से उत्तर की ओर 160 किलोमीटर व करनाल से 39 कि.मी. और अम्बाला से दक्षिण की ओर 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह दिल्ली-अम्बाला मुख्य रेलवे लाइन पर एक मुख्य रेलवे स्टेशन है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 1 पर क महत्वपूर्ण सड़क जक्शन पिपली से लगभग पांच कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इस नगर की प्रमुख आबादी लगभग तीन कि.मी. की दूरी पर थानेसर कस्बे में बसी हुई है।

यह पवित्र भूमि 80 मील (128 कि.मी.) क्षेत्रफल की परिधि में फैली हुई है। इसके अन्तर्गत प्राचीन भारतीय परम्पराओं से सम्बन्धित और महाभारत युद्वकालीन अनेक पवित्र स्थल, मन्दिर और सरोवर देखने को मिलते हैं। इसकी परिधि में वर्तमान पानीपत, दक्षिण में जीन्द का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र और पश्चिम में जिला पटियाला का पूर्व क्षेत्र भी सम्मिलित है। इसके उत्तर में सरस्वती और पूर्व मे यमुना नदियां हैं।

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